जन -जन को रोटी देते हो, कहते सब भगवान तुम्हें वीर जवानों के जैसा हम, देते हैं सम्मान तुम्हें लेकिन तुमने द्रोही बनकर,राष्ट्र कलंकित कर डाला देश जलाने वालों कैसे, बोलूं आज किसान तुम्हे संदीप 'जगन' अन्नदाता कैसे कहूँ