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वो भी क्या दिन थे जब, परिवार एकजुट रहा करते थे..!

वो भी क्या दिन थे जब,
परिवार एकजुट रहा करते थे..!

अब तो सबने अपना,
अलग परिवार बसाया है..!

एक ही घर में चार दीवारों के,
बीच जैसे अलगाव जगाया है..!

कभी सीख मिली थी संग रहने की,
बांध लकड़ियों का ढ़ेर दिखाया है..!

एकता में ही बल है अब,
कोई समझ न पाया है..!

घर की खुशहाली को,
जैसे खुद ही जलाया है..!

प्रेम सद्भाव की गंगा में,
नफरत का ज़हर फैलाया है..!

©SHIVA KANT
  #walkingalone #beetedin