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सुने पड़े हैं तट यमुना के, ओ कान्हा अब आ जाओ, दुखी

सुने पड़े हैं तट यमुना के,
ओ कान्हा अब आ जाओ,
दुखी,व्यथित,सजल नेत्रों से
गोपीयाँ पुकारे अब आ जाओ,
 धुन फिर बाँसुरी की सुना जाओ।
महाभारत की समर भूमि से, 
अर्जुन पुकारे अब आ जाओ। 
थका हुआ है हर मनुज यहाँ पर
फिर गीतामृत पान करा जाओ,
फिर एक बार कन्हैया आजाओ।। 
#अंकित सारस्वत # #कन्हैया फिर आजाओ
सुने पड़े हैं तट यमुना के,
ओ कान्हा अब आ जाओ,
दुखी,व्यथित,सजल नेत्रों से
गोपीयाँ पुकारे अब आ जाओ,
 धुन फिर बाँसुरी की सुना जाओ।
महाभारत की समर भूमि से, 
अर्जुन पुकारे अब आ जाओ। 
थका हुआ है हर मनुज यहाँ पर
फिर गीतामृत पान करा जाओ,
फिर एक बार कन्हैया आजाओ।। 
#अंकित सारस्वत # #कन्हैया फिर आजाओ