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गौरैया और मैं......... (रचना अनुशीर्षक में पढ़ें)

गौरैया और मैं.........

(रचना अनुशीर्षक में पढ़ें) 
सुबह सवेरे मेरे घर में कुछ गौरेया आती हैं
चूं चूं चीं ची शोर मचाती मन को मेरे हर्षाती हैं।

परदेसी बच्चों ने छोड़ा जब से घर आंगन का कोना
सन्नाटा ही पसरा रहता डाले बेलौस बिछौना।
अपने गुंजन से बिखरा जाती नीरवता के बादल को
सहला जाती भीगे मन को अपने चंचल अभ्यासों से।
गौरैया और मैं.........

(रचना अनुशीर्षक में पढ़ें) 
सुबह सवेरे मेरे घर में कुछ गौरेया आती हैं
चूं चूं चीं ची शोर मचाती मन को मेरे हर्षाती हैं।

परदेसी बच्चों ने छोड़ा जब से घर आंगन का कोना
सन्नाटा ही पसरा रहता डाले बेलौस बिछौना।
अपने गुंजन से बिखरा जाती नीरवता के बादल को
सहला जाती भीगे मन को अपने चंचल अभ्यासों से।

सुबह सवेरे मेरे घर में कुछ गौरेया आती हैं चूं चूं चीं ची शोर मचाती मन को मेरे हर्षाती हैं। परदेसी बच्चों ने छोड़ा जब से घर आंगन का कोना सन्नाटा ही पसरा रहता डाले बेलौस बिछौना। अपने गुंजन से बिखरा जाती नीरवता के बादल को सहला जाती भीगे मन को अपने चंचल अभ्यासों से। #yqdidi #yqhindi #yqhindipoetry #jayakikalamse