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उल्फत में तेरे, ग़म ही नही कुछ और भी है मैं शिद्दत

उल्फत में तेरे, ग़म ही नही कुछ और भी है
मैं शिद्दत से चाहता हूँ तुझे फिज़ाओं में ये शोर भी है,
लो एक शाम ढ़ल गई तेरे बग़ैर,
एक दिन और जी लिया मैं तेरे बग़ैर.
अब तेरा इंतज़ार भी नही है अब मुझे
तुझ पे एतबार भी नहीं है अब मुझे.
मेरी हसरतों, मेरी तमन्नाओं का,
तेरी फितरतों से कोई सरोकार भी नहीं है
उम्मीद पर तेरी अब तक जी लिया मैंने
जो न करना चाहा था कभी
वो कर लिया मैंने
टूट कर तुझसे कभी प्यार किया था मैंने
अब तेरे साथ नही जी पाउँगा,
अपने ज़ख्मों को न कभी सी पाउँगा.
उल्फत में तेरे, ग़म ही नही कुछ और भी है
मैं शिद्दत से चाहता हूँ तुझे फिज़ाओं में ये शोर भी है,
लो एक शाम ढ़ल गई तेरे बग़ैर,
एक दिन और जी लिया मैं तेरे बग़ैर.
अब तेरा इंतज़ार भी नही है अब मुझे
तुझ पे एतबार भी नहीं है अब मुझे.
मेरी हसरतों, मेरी तमन्नाओं का,
तेरी फितरतों से कोई सरोकार भी नहीं है
उम्मीद पर तेरी अब तक जी लिया मैंने
जो न करना चाहा था कभी
वो कर लिया मैंने
टूट कर तुझसे कभी प्यार किया था मैंने
अब तेरे साथ नही जी पाउँगा,
अपने ज़ख्मों को न कभी सी पाउँगा.
aguplopwar9869

Ag Uplopwar

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