पल्लव की डायरी रंग बिरंगी मीनारे दौलतों की सजावट है रंगीन मिजाजी और फ़ूडपनो में शराब कबाब और हुस्न की दावत है मरी हुयी है जिनमे नैतिकता और चारित्रकिता महफ़िलो में दिल बहलाते है समाजिक संस्कारो से कटकर जिंदा रहने का स्वांग रचाते है मरी हुयी आत्मा की सब आबाजे चीख चीख कर जश्न कर गमो को भुलाते है खो गया मन मे उनका आनन्द बर्बादियों में धन का रसूख दिखाते है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #LastNight बर्बादियों में धन का रसूख दिखाते है #LastNight