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ज़ज्बात जब टूट कर सीने में बिखर जाते हैं, अल्फ

ज़ज्बात जब टूट कर 
सीने  में  बिखर जाते  हैं,
अल्फाज़  बन  कर
काग़ज पर निखर आते हैं, 
तब जा कर कहीं 
दिल से  एक आह  निकलती  है!
बड़ा मुश्किल  होता  है 
अपना दर्द_ए_दिल, 
काग़ज पर 
अंदाज़_ए_बयान करना,
जब ज़ख़्मों को हवा  लगती  है
तब दिल से वाह निकलती है!!

©Deepak Kumar 'Deep' #Waah
ज़ज्बात जब टूट कर 
सीने  में  बिखर जाते  हैं,
अल्फाज़  बन  कर
काग़ज पर निखर आते हैं, 
तब जा कर कहीं 
दिल से  एक आह  निकलती  है!
बड़ा मुश्किल  होता  है 
अपना दर्द_ए_दिल, 
काग़ज पर 
अंदाज़_ए_बयान करना,
जब ज़ख़्मों को हवा  लगती  है
तब दिल से वाह निकलती है!!

©Deepak Kumar 'Deep' #Waah