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White वो बेगाना था कोई आख़िरी दफ़ा सोचा उसे और मु

White वो बेगाना था कोई

आख़िरी दफ़ा सोचा उसे और मुस्कुरा दिया उसे सोचकर,
ख़त लिखा नाम उसके और छिपा दिया डायरी में मोड़कर,

ढलक गए कुछ अश्क़ आँखों के कोरों से बिना इजाज़त के,
क़ामिल हुईं दिल में चंद पुरानी यादें, दिली सतहें खरोंचकर,

वो भी क्या दिन थे जब दिल उसका लगता था नहीं मेरे बगैर,
आज वो जाते जाते चला गया, चला गया मुझे तन्हा छोड़कर,

बाँधी थी सारी उम्मीदें उससे, कई ख़्वाब उसी के लिए बुने मैंने,
उजाड़ गया हर ख़्वाबगाह वो, बिखेर गया सभी सपने तोड़कर,

जिसे अपनी यादों पर भी मेरा हक़ नहीं है अब गवारा “साकेत",
करता भी क्या आख़िर, क्या करता मैं उस बेगाने को रोककर।

IG :— @my_pen_my_strength

©Saket Ranjan Shukla वो बेगाना था कोई..!
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✍🏻Saket Ranjan Shukla
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White वो बेगाना था कोई

आख़िरी दफ़ा सोचा उसे और मुस्कुरा दिया उसे सोचकर,
ख़त लिखा नाम उसके और छिपा दिया डायरी में मोड़कर,

ढलक गए कुछ अश्क़ आँखों के कोरों से बिना इजाज़त के,
क़ामिल हुईं दिल में चंद पुरानी यादें, दिली सतहें खरोंचकर,

वो भी क्या दिन थे जब दिल उसका लगता था नहीं मेरे बगैर,
आज वो जाते जाते चला गया, चला गया मुझे तन्हा छोड़कर,

बाँधी थी सारी उम्मीदें उससे, कई ख़्वाब उसी के लिए बुने मैंने,
उजाड़ गया हर ख़्वाबगाह वो, बिखेर गया सभी सपने तोड़कर,

जिसे अपनी यादों पर भी मेरा हक़ नहीं है अब गवारा “साकेत",
करता भी क्या आख़िर, क्या करता मैं उस बेगाने को रोककर।

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