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धुआँ उड़ने लगे जब जली हुई ख़्वाहिशों का, वो फौरन चले

धुआँ उड़ने लगे जब जली हुई ख़्वाहिशों का, वो फौरन चले जाते है। 
समझदारी का कोयला जलाएं तो सब  हाथ सेंकने चले आते है।
खाँसते है कुछ उलझनों को मुँह पर हाथ रख कर, कुछ को दबाते है
कभी उम्मीद की अँगीठी पे बैठा आने वाले कल की तपिश देते है। #धुआँ #अँगीठी #ख़्वाहिश #तपिश
धुआँ उड़ने लगे जब जली हुई ख़्वाहिशों का, वो फौरन चले जाते है। 
समझदारी का कोयला जलाएं तो सब  हाथ सेंकने चले आते है।
खाँसते है कुछ उलझनों को मुँह पर हाथ रख कर, कुछ को दबाते है
कभी उम्मीद की अँगीठी पे बैठा आने वाले कल की तपिश देते है। #धुआँ #अँगीठी #ख़्वाहिश #तपिश