पल्लव की डायरी हल चल से हालात बदल रहे है भविष्य बच्चों के भटक रहे है संस्कारों की पाठ शाला पर सत्ताओ के हथोड़े चल रहे है भीड़ तंत्र में आबादी बदली बिना साक्षर के झुंझो में बदल रहे है उनके बचपन को मिली नही दिशा निराशा में जीवन जीने को भटक रहे है कैसे मिलेंगे राष्ट देश को योग्य प्रशासक अपनी बदहाली पर वतन वाले हाथ मल रहे है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #ChildrensDay निराशा में जीवन जीता है #ChildrensDay