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ना जाने ये कैसा डर है ना जीने देता है, ना मरने दे

ना जाने ये कैसा डर है
ना जीने देता है, ना मरने दे रहा है
ये वक्त भी मेरे खिलाफ हो गया है
मुझेसे हर एक नाता तोड़ रहा है
फिर भी मैं हार नहीं मानूंगा
अपने कदमों को आगे बढ़ाता रहूंगा
जब तक मेरी सांसो में जान है
मैं अपनी ख्वाहिशों के लिए लड़ता रहूंगा

कुछ भी मेरे हक में नहीं है
मेरा सब कुछ मुझसे दूर हो गया है
खुशियों की तलाश में निकला था मैं
तन्हा रहने को दिल मजबूर हो गया है
मंजिले कितनी भी ऊंची क्यों ना हो जाए
रोज एक-एक सीढ़ियां में चढ़ता रहूंगा
जब तक मेरी सांस में जान है
अपनी ख्वाहिशों के लिए लड़ता रहूंगा

©K.G{RJ}
  #ना जाने ये कैसा डर है
karangupta2606

K.G{RJ}

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#ना जाने ये कैसा डर है #कविता

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