क्यो रहते थे भीतर से अशांत अभी तो सफर के उत्कर्ष की नींव खुदी थी, पर क्यो सहसा मंजिल बदल लिए सुशांत हमको नही पता था कि करोङो दिलो को जोड़कर इतना गहरा धक्का देकर जाओगे ऐसे तोड़कर अफसोस कि हम तुम्हारे सदा हँसते-खिलते चेहरे को जान नही पाये तारा सा चमकते चेहरे के आगे निरीह सी आँखो को पहचान नही पाये हमे लगा "छिछोरे" फ़िल्म के जैसा लोगो को जीने का तदबीर सदा सिखाओगे हमे क्या पता कि ज़िन्दगी से हारकर आँखो का तारा बन यमलोक में जा जगमगाओगे तुम्हारी शख्सियत के सारे किस्से जेहन के किताबों व रिसालों में रह जाएंगे तुम फक़त अब हम सबके दुनिया-ए-ख्यालात में निकेत कर बहुत तड़पाओगे। ✍️आशुतोष यादव 💔#SushantSinghRajput #heart_breaking #RIP😢 sheetal pandya मेरे शब्द Sudha Tripathi