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अम्मा; तुम तो धागा थी घर का, गूँथ रखे तुमने ख़ुद मे

अम्मा;
तुम तो धागा थी घर का,
गूँथ रखे तुमने ख़ुद में,
जाने कितने रिश्ते - नाते,
मान - मनौव्वल हँसना - रोना,
गुस्सा, प्यार भरी जज़्बातें,
कैसी गिरहें बाँधी थी तुमने; जादू जैसी,
जब चाहा कुछ ढीली कर दीं,
जब चाहा समेट लिये सब रिश्ते,
खुली रह गई जाने कैसे ये गिरहें,
बिखर गये सब तिनका - तिनका,
मुझको भी कुछ तो सिखला दो,
जितनी कोशिश करता हूँ,
गिरहें बन जाती हैं गाँठें..... #अभिशप्त_वरदान
#अम्मा_तुम_तो_धागा_थी
अम्मा;
तुम तो धागा थी घर का,
गूँथ रखे तुमने ख़ुद में,
जाने कितने रिश्ते - नाते,
मान - मनौव्वल हँसना - रोना,
गुस्सा, प्यार भरी जज़्बातें,
कैसी गिरहें बाँधी थी तुमने; जादू जैसी,
जब चाहा कुछ ढीली कर दीं,
जब चाहा समेट लिये सब रिश्ते,
खुली रह गई जाने कैसे ये गिरहें,
बिखर गये सब तिनका - तिनका,
मुझको भी कुछ तो सिखला दो,
जितनी कोशिश करता हूँ,
गिरहें बन जाती हैं गाँठें..... #अभिशप्त_वरदान
#अम्मा_तुम_तो_धागा_थी
gautamanand4109

Gautam_Anand

Bronze Star
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