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सिंगल मदर तमाम उलाहनों को सहन कर जीना होता है..क्

सिंगल मदर

तमाम उलाहनों को सहन कर जीना होता है..क्यों?
कभी लोकलाज तो कभी बच्चों के खातिर हर ज़हर पीना होता है...क्यों?
आखिर क्यों...? नही समझते लोग....
एक सिंगल माँ का दर्द....
क्यो नही बनते उसके हमदर्द...
उसपर छीटें कसकर क्यों देते रहते है? मुफ्त में उसे रोग
जिसकी उसे जरूरत भी नही होती
बस बच्चे के खुशी में स्वयं को बस है पिरोती
चारों तरफ की निगाहें उस पर
कौवें के समान जाकर टिक जाती है ..…क्यो?
जैसे कोई खाने की कोई वस्तु हो,वो जिसे खाने के लिए सबकी होड़ लगी रहती है
जैसे वो एक औरत नही.... 
एक माँ नही....
कोई खिलौना हो जिसके साथ हर कोई खेलना चाहता है
अपनी मनमर्ज़ी के मुताबिक़...
उन्हें समझा क्यो नही जाता साधारण महिला माफ़िक
बस विधवा ही नही कुछ, किन्हीं कारणवश
पति से दूर रह रही हो , कुछ मासूम औरतें तो...  क्यों? निर्लज्ज या अन्य अपशब्दों से उनको सम्बोधित करते है?
क्या उनको जीने का अधिकार नही है ?  मान , सम्मान सहित...
वो तो वैसे ही कमजोर व लाचार सी हो जाती है... जब उनका बसा बसाया घर टूट जाता है,वो भी जो घर स्थायी नही रहता है
तब क्या... किसी का वो  करेगी अहित 
उसे तो स्वतंत्र रूप से एक विकसित समाज चाहिए होता है
जो उसे समझ सकें उसके भावनाओं और त्याग बलिदान का कद्र कर सकें
सिंगल माँ जरूरी नही कि....वो विडो ही हो .....
शायद वह प्रेमी से छली गई हो या  पति द्वारा अपमानित की गई हो
फिर भी वो एक माँ तो है न!
ममता से लबालब अपने बच्चे के प्रति सम्पूर्ण समर्पित तो है न!
हर कठिनाई से झूझ कर 
आग में कूद कर
संघर्ष करती हुई
हर दर्द को दफ़न कर के
मुस्कुरा कर
सिंगल माँ हों कर भी
मां बाप दोनों का प्यार उड़ेल कर
जीती आई है, जी रही है.... उम्मीद है आगे और भी अच्छे से जीकर कुछ कर जाएं 
सिंगल माँ कम नही है
नेक कर्म के सब चलो केवल मनोबल ही बढाएं.....
ताकि वो इस दुनियां को अपना सकें
सबसे हँसी खुशी बाँट सकें
आने वाली पीढ़ी का सकुशल मार्गदर्शक बन सकें.....!!

अंजली श्रीवास्तव

सभी माँ को माँ दिवस पर नमन
खासकर सिंगल माँ को नमन🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 #ऑनलाइनपोएट्री
सिंगल मदर

तमाम उलाहनों को सहन कर जीना होता है..क्यों?
कभी लोकलाज तो कभी बच्चों के खातिर हर ज़हर पीना होता है...क्यों?
आखिर क्यों...? नही समझते लोग....
एक सिंगल माँ का दर्द....
क्यो नही बनते उसके हमदर्द...
उसपर छीटें कसकर क्यों देते रहते है? मुफ्त में उसे रोग
जिसकी उसे जरूरत भी नही होती
बस बच्चे के खुशी में स्वयं को बस है पिरोती
चारों तरफ की निगाहें उस पर
कौवें के समान जाकर टिक जाती है ..…क्यो?
जैसे कोई खाने की कोई वस्तु हो,वो जिसे खाने के लिए सबकी होड़ लगी रहती है
जैसे वो एक औरत नही.... 
एक माँ नही....
कोई खिलौना हो जिसके साथ हर कोई खेलना चाहता है
अपनी मनमर्ज़ी के मुताबिक़...
उन्हें समझा क्यो नही जाता साधारण महिला माफ़िक
बस विधवा ही नही कुछ, किन्हीं कारणवश
पति से दूर रह रही हो , कुछ मासूम औरतें तो...  क्यों? निर्लज्ज या अन्य अपशब्दों से उनको सम्बोधित करते है?
क्या उनको जीने का अधिकार नही है ?  मान , सम्मान सहित...
वो तो वैसे ही कमजोर व लाचार सी हो जाती है... जब उनका बसा बसाया घर टूट जाता है,वो भी जो घर स्थायी नही रहता है
तब क्या... किसी का वो  करेगी अहित 
उसे तो स्वतंत्र रूप से एक विकसित समाज चाहिए होता है
जो उसे समझ सकें उसके भावनाओं और त्याग बलिदान का कद्र कर सकें
सिंगल माँ जरूरी नही कि....वो विडो ही हो .....
शायद वह प्रेमी से छली गई हो या  पति द्वारा अपमानित की गई हो
फिर भी वो एक माँ तो है न!
ममता से लबालब अपने बच्चे के प्रति सम्पूर्ण समर्पित तो है न!
हर कठिनाई से झूझ कर 
आग में कूद कर
संघर्ष करती हुई
हर दर्द को दफ़न कर के
मुस्कुरा कर
सिंगल माँ हों कर भी
मां बाप दोनों का प्यार उड़ेल कर
जीती आई है, जी रही है.... उम्मीद है आगे और भी अच्छे से जीकर कुछ कर जाएं 
सिंगल माँ कम नही है
नेक कर्म के सब चलो केवल मनोबल ही बढाएं.....
ताकि वो इस दुनियां को अपना सकें
सबसे हँसी खुशी बाँट सकें
आने वाली पीढ़ी का सकुशल मार्गदर्शक बन सकें.....!!

अंजली श्रीवास्तव

सभी माँ को माँ दिवस पर नमन
खासकर सिंगल माँ को नमन🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 #ऑनलाइनपोएट्री