यूं तो बस सीसक-सीसक के मरते हम, मगर हाथो तुम्हारे मौत मेरी , सुकून-ए- ईश्क भी होगा , सूकून-ए- रूह भी होगी ,, क्या ग़ज़ब का मन्ज़र होगा की जिससे प्यार था मुझको, ऊसी के हाथों मौत भी होगी । ©Adnan Ahmad