लम्हा बह जाता है पीछे छोड़ जाता है यादों का हसीन समंदर कुछ तेरे अंदर कुछ मेरे अंदर लम्हा बह जाता है आज मिले भी है तो हमेशा के लिए बिछड़ने को जी चाहता है खुदा से इस बात पर झगड़ने को लम्हा बह जाता है एक सा दर्द है और एक सी दुनियां है हमारी एक से जज़्बात है और एक सी खुशियां है हमारी फिर क्यों किए दुनियां वालो ने इतने जद - ओ- ज़हद मेरा खुदा तेरा मंदर कुछ तेरे अंदर कुछ मेरे अंदर लम्हा बह जाता है लम्हा बह जाता है.... ©Akshita Maurya लम्हा #TerribleMemory