जब आँख खुली थी आज सुबह सबसे पहले तुमको पाया बस देख के तेरे चरणों को जीवन पर भी एक नग़मा गाया नग़मे में भी कुछ यूं था मां तुम कितना कष्ट उठाती हो बच्चों को पीड़ा न हो कुछ इसलिए स्वयं थक जाती हो ये थकन कहाँ गुम होती है तुम अपना सारा दर्द छुपाती हो