आसान मंज़िल एक दौर से गूजरे हम तो जाने कि तकदीर बनानी पड़ती है, गैरो को जानने के लिए भरोसे को आजमानी पड़ती है, कुछ भी हासील नहीं होता यहाँ असानी से, खूदको मजबूत बनाने के लिए कई दफ़ा ठोकरें भी खानी पड़ती हैं ©Saurav Das #ठोकर #भी #खानी #पड़ती #है #WForWriters