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बाज़ारो में अक्सर मेरा, कम-कम मोल लगाया जाता... मेर

बाज़ारो में अक्सर मेरा, कम-कम मोल लगाया जाता...
मेरी मेहनत को सरेआम, पानी सा बहाया जाता...
मेरे जैसे लाखों से ही, इनकी तो सरकार है बनती...
मेरे हक की बातों पर ही मेरा खेत जलाया जाता...
मेरी मेहनत... मेरा सोना... बंद गोदामों में पड़ा है...
बिल्डर सारे खेत पर, किसान सड़को पर खड़ा है...
कविता - जलज कुमार वर्मा

©Jalaj Kumar Verma बाज़ारो में अक्सर मेरा, कम-कम मोल लगाया जाता...
मेरी मेहनत को सरेआम, पानी सा बहाया जाता...
मेरे जैसे लाखों से ही, इनकी तो सरकार है बनती...
मेरे हक की बातों पर ही मेरा खेत जलाया जाता...
मेरी मेहनत... मेरा सोना... बंद गोदामों में पड़ा है...
बिल्डर सारे खेत पर, किसान सड़को पर खड़ा है...
कविता - जलज कुमार वर्मा
बाज़ारो में अक्सर मेरा, कम-कम मोल लगाया जाता...
मेरी मेहनत को सरेआम, पानी सा बहाया जाता...
मेरे जैसे लाखों से ही, इनकी तो सरकार है बनती...
मेरे हक की बातों पर ही मेरा खेत जलाया जाता...
मेरी मेहनत... मेरा सोना... बंद गोदामों में पड़ा है...
बिल्डर सारे खेत पर, किसान सड़को पर खड़ा है...
कविता - जलज कुमार वर्मा

©Jalaj Kumar Verma बाज़ारो में अक्सर मेरा, कम-कम मोल लगाया जाता...
मेरी मेहनत को सरेआम, पानी सा बहाया जाता...
मेरे जैसे लाखों से ही, इनकी तो सरकार है बनती...
मेरे हक की बातों पर ही मेरा खेत जलाया जाता...
मेरी मेहनत... मेरा सोना... बंद गोदामों में पड़ा है...
बिल्डर सारे खेत पर, किसान सड़को पर खड़ा है...
कविता - जलज कुमार वर्मा