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हर रोज़ की तरह गुफ्तगू चल रही थी तन्हाइयों से......

हर रोज़ की तरह गुफ्तगू चल रही थी तन्हाइयों से......वो मेरी ख़ामोशी पड़ रही थी......सन्नटा सुन रहा था मैं उसका.....तुनक सी गई एकदम......बोली क्या बात अब चुगलियां नहीं बची क्या उसकी.........हल्का सा मुस्कुरा कर बोला.....राह छोड़ दी अब उसकी मैंने

एहसासे सागर✍🏼 #aloneme 

#depression
हर रोज़ की तरह गुफ्तगू चल रही थी तन्हाइयों से......वो मेरी ख़ामोशी पड़ रही थी......सन्नटा सुन रहा था मैं उसका.....तुनक सी गई एकदम......बोली क्या बात अब चुगलियां नहीं बची क्या उसकी.........हल्का सा मुस्कुरा कर बोला.....राह छोड़ दी अब उसकी मैंने

एहसासे सागर✍🏼 #aloneme 

#depression