हाथों को हाथ छू कर निकलते हैं कहने को लोग इन्हे पत्थर कहते हैं कुछ दरिया आंखों की विरासत हैं कुछ दरिया आंखों के अंदर रहते हैं यह जमीं रोज़ ताज़ा ज़ख्म खाती है इस जमीं को दर्द का समंदर कहते हैं कोई न कोई दरख़्त जरूर मिलता है हम रास्तों से भला क्यूंकर गुज़रते हैं बारिशों में पहला मंजर कैसा होता है यादों के मौसम को एक पत्तर लिखते हैं क़ुदरत हमारे गालों को बोसा देती है कहने को क़ुदरत हम बेहतर समझते हैं Mankind & Nature #nature #mankind #seasons #shahbazwrites #passion4pearl #relations #yqtales #yqbaba