कुछ लोग कोस रहे हैं आज,देश के इस हाल को क्या कीजिए,करनी न धरनी वाले ऐसे ख़्याल को ये बड़ा नाम करते हैं,सोशल मीडिया पे काम करते हैं ये क्रांति समझ बैठते हैं,सोशल मीडिया के बबाल को उतना भी यहाँ नहीं बुराई,बाहर निकल के देखो अच्छाई अपना हाल अच्छा लगेगा,देखो पड़ोसियों के हाल को लगता है जो यहाँ सुरक्षित नहीं,उनकी कोई इज़्ज़त नहीं फिर यहाँ क्यों रुके हो,लेके दिल में इतने मलाल को जश्न की आजादी मनाओ,सफलता की गीत गाओ आओ सजाएँ 'इक़बाल' के इस गुलिस्ताँ के जमाल को *जमाल-सौंदर्य,beauty