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जिंदगी में जीवन से बढ़कर कुछ भी कीमती नहीं है अगर

जिंदगी में जीवन से बढ़कर कुछ भी कीमती नहीं है अगर जिंदगी ना रहेगी तो कोई काम कैसे कर पाएंगे इसीलिए कहा गया है दुर्घटना से देर भली।
इसी शीर्षक के अंतर्गत मैं एक लघु कथा बताने जा रही हूं यह मेरी स्वयं की आंखों देखी घटना है।
पिछले साल हम दिसंबर के महीने में नैनीताल घूमने के लिए जा रहे थे नैनीताल का रास्ता पहाड़ी है और वहां पर गाड़ियों को बहुत ही ध्यान से चलाने की जरूरत होती है और कोई भी नौसिखिया वहां की सड़कों पर गाड़ी नहीं चला सकता है परंतु जो वहां चलाते हैं कभी-कभी वे भी बहुत जल्दबाजी करते हैं।
 मैंने देखा कि एक गाड़ी तेजी से ओवरटेक करती हुई चली जा रही थी सभी उसको रास्ता देने की भी कोशिश कर रहे थे परंतु फिर भी उसको पता नहीं किस चीज की जल्दी थी ओवरटेक करते करते उसका संतुलन बिगड़ गया और वह गाड़ी खाई में जाकर गिर गई भगवान का शुक्र सिर्फ इतना था कि खाई बहुत गहरी नहीं थी यात्रियों के साथ-साथ उसके ड्राइवर को भी चोट आई परंतु सबकी जान कड़ी मेहनत के बाद बचा ली गई इन सबको बचाने में 2 से 3 घंटे का समय लग गया।
उसी समय मेरी नजर वहां सड़क के किनारे लगी हार्डिंग पर पड़ी जिस पर लिखा था दुर्घटना से देर भली जो बिल्कुल समय के साथ यथार्थ प्रतीत हो रही थी और तभी समझ में आया कि किसी भी काम को जल्दबाजी में नहीं करना चाहिए जरा सी लापरवाही जिंदगी भर का पछतावा बन सकती है जल्दबाजी का परिणाम विपरीत ही होता है। #दुर्घटनासेदेरभली(लघुकथा) 
#विशेष_प्रतियोगिता 
#कोराकागजविशेषप्रतियोगिता 
#कोराकागज 
#collabwithकोराकागज
#yqbaba
#yqdidi
जिंदगी में जीवन से बढ़कर कुछ भी कीमती नहीं है अगर जिंदगी ना रहेगी तो कोई काम कैसे कर पाएंगे इसीलिए कहा गया है दुर्घटना से देर भली।
इसी शीर्षक के अंतर्गत मैं एक लघु कथा बताने जा रही हूं यह मेरी स्वयं की आंखों देखी घटना है।
पिछले साल हम दिसंबर के महीने में नैनीताल घूमने के लिए जा रहे थे नैनीताल का रास्ता पहाड़ी है और वहां पर गाड़ियों को बहुत ही ध्यान से चलाने की जरूरत होती है और कोई भी नौसिखिया वहां की सड़कों पर गाड़ी नहीं चला सकता है परंतु जो वहां चलाते हैं कभी-कभी वे भी बहुत जल्दबाजी करते हैं।
 मैंने देखा कि एक गाड़ी तेजी से ओवरटेक करती हुई चली जा रही थी सभी उसको रास्ता देने की भी कोशिश कर रहे थे परंतु फिर भी उसको पता नहीं किस चीज की जल्दी थी ओवरटेक करते करते उसका संतुलन बिगड़ गया और वह गाड़ी खाई में जाकर गिर गई भगवान का शुक्र सिर्फ इतना था कि खाई बहुत गहरी नहीं थी यात्रियों के साथ-साथ उसके ड्राइवर को भी चोट आई परंतु सबकी जान कड़ी मेहनत के बाद बचा ली गई इन सबको बचाने में 2 से 3 घंटे का समय लग गया।
उसी समय मेरी नजर वहां सड़क के किनारे लगी हार्डिंग पर पड़ी जिस पर लिखा था दुर्घटना से देर भली जो बिल्कुल समय के साथ यथार्थ प्रतीत हो रही थी और तभी समझ में आया कि किसी भी काम को जल्दबाजी में नहीं करना चाहिए जरा सी लापरवाही जिंदगी भर का पछतावा बन सकती है जल्दबाजी का परिणाम विपरीत ही होता है। #दुर्घटनासेदेरभली(लघुकथा) 
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