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एक वाकया अभी हाल का, चार दिन पहले मथुरा वृंदावन

एक वाकया

 अभी हाल का, चार दिन पहले
 मथुरा वृंदावन गए थे। रिटर्न टिकट इंटरसिटी में सीटू में थी रात सारी जागे थे गोवर्धन परिक्रमा के लिए 4:00 बजे स्टेशन पर आए थे आंखों में नींद भरी थी यह पता नहीं था कि इंटरसिटी लखनऊ से आती है इसमें गोमती एक्सप्रेस लिखा था हम इंटरसिटी देखते रहे और प्लेटफॉर्म भी चेंज कर दिया था दो नंबर से तीन नंबर कर दिया था खड़े रहे हमारे सामने से गाड़ी निकल गई 1 घंटे बाद कुली से पूछा इंटरसिटी निकल गए
फिर जो गाड़ी दिल्ली के लिए आ रही थी उसी में चढ़कर स्लीपर क्लास में 10:15 मिनट के बाद चेकर आया,
भाई बताई इंटरसिटी एसी में टिकट की आंखों के सामने से निकल गई समझ नहीं पाए तो कहने लगा सर आपकी बात सही है लेकिन आप तो बिना टिकट है ठीक है फिर आप जो सेवा कहेंगे देना पड़ेगी आइए घूम के थोड़ा सा
थोड़ी देर में आया
उम्र के पड़ाव ने ये कैसा दिन दिखा दिया,
बेकसूर होते हुए भी कसूरवार बना दिया।

वो तो टिकट चेकर शरीफ़ आदमी निकला,
सिर्फ़ सौ रुपया लेकर, हमें माफ़ कर दिया।

©Anuj Ray
  #उम्र के पड़ाव ने ऐ कैसा दिन दिखा दिया
anujray7003

Anuj Ray

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#उम्र के पड़ाव ने ऐ कैसा दिन दिखा दिया #ज़िन्दगी

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