//रहमत// ******************* मिज़ाज-ए-इश़्क मेहरबान तो हुआ पर बेचैनियाँ साथ लाया, रहमत ख़ुदा की हुई कि दुआओं में असर नज़र आया। अनजानों की महफिल में किसे ने अपना समझ प्यार जताया, मनहूसीयत के बादल , खुशी के लम्होंत हमें कहां रास आया। कर दें रहमत ,ओ रहबर के खुशी के हकदार हम भी तो हैं, आख़िर क्यों ....तेरे भव्य संसार में हमेंशा दुख ही मैनें पाया। गुज़र सकतें थे हम भी किसी भी हद तक तेरा प्यार पाने को, नज़रअंदाज़ कर हमें मगर भंवरा मसरूफ़ था,नई खुशबू पाता नज़र आया। ए खुदा रहमत-ए-नूर सब पर कर, उन्हें भूलने की ताकत दें दें, या वो हमें मुकम्मल मिले या आखों से ओझल तक हो जाए उनका साया। रचना: 3 14.04.2021 #kkरहमत #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #kkr2021 #रमज़ान_कोराकाग़ज़