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जब ख़्वाब सारे बिखर जाएं, और उम्मीदें भी दम तोड़ ज

जब ख़्वाब सारे बिखर जाएं,
और उम्मीदें भी दम तोड़ जाएं, 
जब सन्नाटों में चीख़ बनकर,
बस यादें ही रह जाएं।

अश्क जब पलकों पे थम जाए,
तब दिल की गहराइयों में उठती हैं,
कुछ सिसकियाँ बेआवाज़ सी, 
और दर्द लफ़्ज़ों में ढल जाते हैं।

फिर न कोई शिकवा, न कोई गिला,
बस एक वीरान दिल का क़िस्सा, 
जो हर धड़कन के साथ टूटेगा,
और हर सांस में घुटता रहेगा।

डॉ दीपक कुमार दीप




.

©Dr Deepak Kumar Deep #Hair  poetry in hindi urdu poetry sad hindi poetry sad poetry poetry on love
जब ख़्वाब सारे बिखर जाएं,
और उम्मीदें भी दम तोड़ जाएं, 
जब सन्नाटों में चीख़ बनकर,
बस यादें ही रह जाएं।

अश्क जब पलकों पे थम जाए,
तब दिल की गहराइयों में उठती हैं,
कुछ सिसकियाँ बेआवाज़ सी, 
और दर्द लफ़्ज़ों में ढल जाते हैं।

फिर न कोई शिकवा, न कोई गिला,
बस एक वीरान दिल का क़िस्सा, 
जो हर धड़कन के साथ टूटेगा,
और हर सांस में घुटता रहेगा।

डॉ दीपक कुमार दीप




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