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#डायरी के पन्ने से वृंदावन की मनमोहक स्मृतियां खण्

#डायरी के पन्ने से वृंदावन की मनमोहक स्मृतियां खण्ड क
अच्छा वृन्दावन नाम तो सबने सुना होगा कि वहां का हर कण कण राधे राधे ही पुकारता वैसे ये बात मुझे पूर्णता मिथ्या सी प्रतीत होती था अभी कुछ महज दो वर्षों पूर्व वहां के प्रेम मंदिर का अद्भुत नजारा बरसाना ,गोकुल , मथुरा एवं आगरा के भ्रमण पर जब मैं निकली तो मन में यही था कि हर वर्ष की भांति इन स्थलों पर भी घूमेंगे टहलेंगे और कुछ स्मृतियां बटोरकर  अपने घर वापस आ जायेंगे कालेज से घर वापस एक बार मम्मी पापा से मिलने व कुछ खाने पीने का सामान लेकर वापस कालेज में पहुंची तो मन बड़ा अधीर था ,यहां तक मैं बस चली न थी कि मेरे अश्रु टपकने लगे खुद को बहुत बहलाया मैं वहां जाने में उत्सुक नहीं थी पर हालांकि एक कारण ये था कि मेरे साथ ऐसा कोई न था जिसके साथ मैं सहज महसूस कर पाऊं क्योंकि आजतक मैं जहां जाती थी पिकनिक हो या अन्य स्थल मेरा भाई या पापा खुद मेरे संग जाया करते थे अच्छा तो फिर रात भर का सफर हंसी ठिठोली ,अंताकक्षरी ,फिल्म का आनंद ले रहे लोगों में मैं ही ऐसी थी जो अपना सोने व तस्लीमा नसरीन के उपन्यासों में व्यस्त थी मथुरा के अपने बाबा जय गुरुदेव का आश्रम देख मन बड़ा प्रसन्नचित था  और हम आगे अपने पथ की ओर अग्रसर थे वृन्दावन में ज्यों ही हम सभी प्रातःकाल की पूजा अर्चना पूर्ण कर बाहर निकलेण ल तो देखा बन्दरों का बड़ा झुण्ड था, जिनसे बचते बचाते मुख्य द्वार पर पहुंचे तो वहां पर सबके जूते गायब थे ,बहुत प्रपासो। के बाद हम नंगे पाव अपने धर्मशाला में वापस आ गए आराम करने के लिए ।

©Shilpa Yadav #वृंन्दावन#आगरा#यात्रा#shilpayadpoetry#nojotohindi राधा कृष्ण के भजन#  Ravi Ranjan Kumar Kausik  ANOOP PANDEY  Vishalkumar "Vishal"  Neel  Vijay Kumar  राधा कृष्ण के भजन
#डायरी के पन्ने से वृंदावन की मनमोहक स्मृतियां खण्ड क
अच्छा वृन्दावन नाम तो सबने सुना होगा कि वहां का हर कण कण राधे राधे ही पुकारता वैसे ये बात मुझे पूर्णता मिथ्या सी प्रतीत होती था अभी कुछ महज दो वर्षों पूर्व वहां के प्रेम मंदिर का अद्भुत नजारा बरसाना ,गोकुल , मथुरा एवं आगरा के भ्रमण पर जब मैं निकली तो मन में यही था कि हर वर्ष की भांति इन स्थलों पर भी घूमेंगे टहलेंगे और कुछ स्मृतियां बटोरकर  अपने घर वापस आ जायेंगे कालेज से घर वापस एक बार मम्मी पापा से मिलने व कुछ खाने पीने का सामान लेकर वापस कालेज में पहुंची तो मन बड़ा अधीर था ,यहां तक मैं बस चली न थी कि मेरे अश्रु टपकने लगे खुद को बहुत बहलाया मैं वहां जाने में उत्सुक नहीं थी पर हालांकि एक कारण ये था कि मेरे साथ ऐसा कोई न था जिसके साथ मैं सहज महसूस कर पाऊं क्योंकि आजतक मैं जहां जाती थी पिकनिक हो या अन्य स्थल मेरा भाई या पापा खुद मेरे संग जाया करते थे अच्छा तो फिर रात भर का सफर हंसी ठिठोली ,अंताकक्षरी ,फिल्म का आनंद ले रहे लोगों में मैं ही ऐसी थी जो अपना सोने व तस्लीमा नसरीन के उपन्यासों में व्यस्त थी मथुरा के अपने बाबा जय गुरुदेव का आश्रम देख मन बड़ा प्रसन्नचित था  और हम आगे अपने पथ की ओर अग्रसर थे वृन्दावन में ज्यों ही हम सभी प्रातःकाल की पूजा अर्चना पूर्ण कर बाहर निकलेण ल तो देखा बन्दरों का बड़ा झुण्ड था, जिनसे बचते बचाते मुख्य द्वार पर पहुंचे तो वहां पर सबके जूते गायब थे ,बहुत प्रपासो। के बाद हम नंगे पाव अपने धर्मशाला में वापस आ गए आराम करने के लिए ।

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shilpayadav7907

Shilpa Yadav

Bronze Star
Growing Creator
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