ये सर्द सुनहरी सुबह है, और शुभी हाथों में चाय का प्याला थामे अपने दर्द को भूलाने की कोशिश कर रही है , मगर रात की दासताँ तो उसका चेहरा भी बयाँ कर रहा था। "उफ्क कितनी भयानक रात थी ! " अचानक से पिछली रात की सब बातें उसके मन में चलचित्र की भांति दौड़ रही थी। "क्या लड़की होना गुनाह है कोई", " घर आने में देर क्या हुई, रास्ते जैसे कांटें भरे हो गए ।" कैसे आफिस से घर आते हुए कुछ लोगों ने उसपर हमला किया, मारपीट, लूटपाट की और एक ने तो उसके कंधे से कुर्ता भी फाड़ दिया , मानों हवस के भूखे भेड़िए उसे नोंच ही डालेंगे। हर तरह से घबराई शुभी ने जोर से तमाचा मारा उसे और जान प्राण बचा वहाँ से भाग खड़ी हुई। "मेरा बहादुर बच्चा ,घबराना नहीं, देखो सर्द सुनहरी सुबह है , और सियाह अंधेरा अब तुम्हारा कुछ बिगाड़ नहीं सकता " । शुभी के कंधे पर हाथ रख पापा भी उगते सूरज के उजाले में चाय का आनन्द ले रहे थे और शुक्र गुजार थे कि उनकी लाडली सही सलामत है। #Sunhari_Subh #Kahaniya #nojotoquotesforall #nojotowritersclub #nojotohindi #anshulathakur #storytelling #newyear #koshish #being_a_girl