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मेरी खामोशी को तुम बेवकूफी समझते रहे मेरे संस्कारो

मेरी खामोशी को
तुम बेवकूफी समझते रहे
मेरे संस्कारों को
मेरी मूर्खता मानते रहे
तुम खुद सोने का सिक्का बनें रहें 
हमें  खोटा सिक्का समझते रहे
हमारी सादगी को देख
तुम चालाकियों का खेल खेलते रहें 
लेकिन हमारी नजरों में तो तुम
महामूर्ख निकलें
क्योंकि तुम छोटी सोच से
अपना समय बरबाद करते रहें 
और हमने जिन्दगी का 
उच्च मुकाम हासिल कर लिया।।
छोटी सोच हमेशा शंका पैदा करती है
कभी हालात,कभी मजबूरी 
कभी सफलता,कभी विफलता 
 कभी शब्द,जिन्दगी से जाता ही नहीं ।
कभी से जूझने के लिए संयम रखना पड़ता है
भविष्य और अतीत कल्पित समय हैं ,
जो इनमें भटकता है ,
वो हमेशा कल्पनाओं और
स्मृतियों में खोया रहता है।
जीवन तो वर्तमान का क्षण है ,
उसमें जो जिए वही सत्य का आनन्द लेता है।

©"ANUPAM"
  #गलतफहमियां