हौले से बालों को समेटे उसे ना खेलने की हिदायत देती. भौंहे सिकुड़कर, कलम को अधपकी मजबूती से थामे आँखों में उठी चमक को सहारा देती. वो लिख पड़ती है, 'कोई कहानी किस्से जुगनू के' चार दीवारी, बेचैन खाली कमरों के खुमारी के. एक सन्नाटा है, जो उसे सहानुभूति दे रखा है. एक इरादा है, जो उसे जगाए रखा है. अलबत्ता इंसान जब "अपनी ही खुशियों मे शरीक होता है" तो नयापन महसूस होता है. *उसे जीना कहीं ज्यादा सुकून* ले गई ना, मैं अपनी ही दुनिया में खैर लौटीए साहेब _मीर की शायरी अधूरी है. सन्नाटा का क्या है _ सवेरा होना लाजिमी है.. /✍️ ©Rumaisa #आधीरात #Soch #Khyal #Man #Lekhni #कोशिश