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लब चुप क्यों रहें दिल की बात बोल दें जो वर्षों से

लब चुप क्यों रहें
दिल की बात बोल दें
जो वर्षों से दबी थे
वो राज़ खोल दें

क्यों अब होंठों को सी लें
जैसे जीना है जी लें
ना रखे अरमान दबा के
ज़िन्दगी अपनी है जी लें

ख़ामोशी में क्या है
इक दूजे के साथ रास्तों में चले ऐसे
की कोई भी देखे तो बोले
यही हैं जो मिले ऐसे दिया और बाती जैसे

©Dr  Supreet Singh
  #लब_चुप_क्यूं_रहें