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बृजराजकुंवर की लीला (दोहे) निकले बृज की वीथि में,

बृजराजकुंवर की लीला (दोहे)

निकले बृज की वीथि में, ज्यों सांवल बृजराज ।
रीझ गईं बृज गोपियां , देख मधुर सब साज ।।

कोई कह मम लाल री , कोई वचन पुनीत ।
कोई सकुचाती कहे , पूर्व जन्म को मीत ।।

पूर्व जन्म की योगिनीं , धर गोपी का वेश।
चूम चूम कर नाथ को , देत प्रेम संदेश ।।

करो ब्याह हमसे कहें , गोपी करें विहास ।
रूठे तब गोपाल जी , दौड़े मां के पास ।।

मां बृज की सब गोपियां , हमको रहीं सताय।
कहती हम उनके पिया , तुमको सास बताय ।।

हंसकर मात बोलती , देती पूत उठाय ।
हाय बावरी गोपियां , उन्हें कौन समझाय ।।

कहे किरन ये मोहनी , मोहन रहे बिछाय ।
हाय नंद के लाल को , कोय न नजर लगाय।।

......................... किरन पुरोहित "हिमपुत्री" mohan ki leela madhuri 
..................................

विषय....बृजराजकुंवर की लीला
विधा....... दोहा


बृजराजकुंवर की लीला
बृजराजकुंवर की लीला (दोहे)

निकले बृज की वीथि में, ज्यों सांवल बृजराज ।
रीझ गईं बृज गोपियां , देख मधुर सब साज ।।

कोई कह मम लाल री , कोई वचन पुनीत ।
कोई सकुचाती कहे , पूर्व जन्म को मीत ।।

पूर्व जन्म की योगिनीं , धर गोपी का वेश।
चूम चूम कर नाथ को , देत प्रेम संदेश ।।

करो ब्याह हमसे कहें , गोपी करें विहास ।
रूठे तब गोपाल जी , दौड़े मां के पास ।।

मां बृज की सब गोपियां , हमको रहीं सताय।
कहती हम उनके पिया , तुमको सास बताय ।।

हंसकर मात बोलती , देती पूत उठाय ।
हाय बावरी गोपियां , उन्हें कौन समझाय ।।

कहे किरन ये मोहनी , मोहन रहे बिछाय ।
हाय नंद के लाल को , कोय न नजर लगाय।।

......................... किरन पुरोहित "हिमपुत्री" mohan ki leela madhuri 
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विषय....बृजराजकुंवर की लीला
विधा....... दोहा


बृजराजकुंवर की लीला

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