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उतरो कभी आसमां से जमीन पर तो गौर करना बादल का सफर

उतरो कभी आसमां से जमीन पर तो गौर करना 
बादल का सफर लंबा नहीं होता। 

मिले मौका तो पूछना उस गैर से 
पैसा ख्वाब सब मुकम्मल हो जाएगा उनसे, 
उतना तरहिज देगा तुम्हें? जितना वादा मैंने किया था। 

महफिल में हर कोई जाम थामें बैठा है 
उनसे जरा अदब से पेश आना, 
हर कोई अपनी जिंदगी दूसरे के नाम कर आया है। 

बरहाल जिंदगी की बातें उनसे मत करना 
अपनी सांसों का बोझ उनसे अब संभाला नहीं जाता। 

कुछ खुद ने, कुछ वक्त ने बर्बाद किया 
जो कुछ बचा था,वो कसर उसकी आंखों ने पूरा किया। 

होठों   पर    रखकर     झूठी मुस्कान, 'साहिल'
वो धड़कनों से जिंदगी की आखरी शाम पूछ रहा है।

©mithun sinha #Love  Ambika Jha Sujata jha
उतरो कभी आसमां से जमीन पर तो गौर करना 
बादल का सफर लंबा नहीं होता। 

मिले मौका तो पूछना उस गैर से 
पैसा ख्वाब सब मुकम्मल हो जाएगा उनसे, 
उतना तरहिज देगा तुम्हें? जितना वादा मैंने किया था। 

महफिल में हर कोई जाम थामें बैठा है 
उनसे जरा अदब से पेश आना, 
हर कोई अपनी जिंदगी दूसरे के नाम कर आया है। 

बरहाल जिंदगी की बातें उनसे मत करना 
अपनी सांसों का बोझ उनसे अब संभाला नहीं जाता। 

कुछ खुद ने, कुछ वक्त ने बर्बाद किया 
जो कुछ बचा था,वो कसर उसकी आंखों ने पूरा किया। 

होठों   पर    रखकर     झूठी मुस्कान, 'साहिल'
वो धड़कनों से जिंदगी की आखरी शाम पूछ रहा है।

©mithun sinha #Love  Ambika Jha Sujata jha
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mithun sinha

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