क्यारियां हों जिनमे,यारा ऐसे घर अब नहीं हैं इंसानों के अलावा, क्या औरों के रब नहीं हैं। मौज के नाम पर, सब मिटाता जा रहा है इंसान गुरूर में अपने इंसान को, किसी की अदब नहीं है। चील कौव्वे भी अब, नजर नहीं आते आसमान में बिजली खम्बो ने, तार ने, क्या ढाया गजब नहीं है ©Kamlesh Kandpal #ful