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मिलन की रात तकती रही, मैं राह मोहब्बत का। क्या खूब

मिलन की रात तकती रही, मैं राह मोहब्बत का।
क्या खूब दिया तूने मुझे, उपहार मोहब्बत का।

आस लगाए बैठी थी, कि तू अब मिलने आएगा।
पर तु तो मुझको छोड़ गया, सरकार मोहब्बत का।

क्यूँ तूने ये दर्द दिया, जज्बात से मेरे खेल कर।
किससे करूँगी मैं सनम, इजहार मोहब्बत का।

ये खेल जो तूने खेला है, बेशक़ तू माहिर है इसमें।
पर याद रखूँगी मैं भी तेरा, तिरस्कार मोहब्बत का।

तेरी खातिर ही मैं सनम, रोज सजती सँवरती थी।
अब किसके लिए मैं करूँ, श्रृंगार मोहब्बत का। ♥️ Challenge-536 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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मिलन की रात तकती रही, मैं राह मोहब्बत का।
क्या खूब दिया तूने मुझे, उपहार मोहब्बत का।

आस लगाए बैठी थी, कि तू अब मिलने आएगा।
पर तु तो मुझको छोड़ गया, सरकार मोहब्बत का।

क्यूँ तूने ये दर्द दिया, जज्बात से मेरे खेल कर।
किससे करूँगी मैं सनम, इजहार मोहब्बत का।

ये खेल जो तूने खेला है, बेशक़ तू माहिर है इसमें।
पर याद रखूँगी मैं भी तेरा, तिरस्कार मोहब्बत का।

तेरी खातिर ही मैं सनम, रोज सजती सँवरती थी।
अब किसके लिए मैं करूँ, श्रृंगार मोहब्बत का। ♥️ Challenge-536 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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