तुम भी वही हो, तुम भी वही हो और हम भी वही हैं मग़र जो था दरमियाँ, वो अब नहीं है कुछ शिकायतें थीं, सिलसिला थम गया, ठहरा हुआ है आसमाँ, रुकी सी ज़मीं है! सनम जो था दरमियाँ, अब वो नहीं है.. धुंधलाई सी यादें, अब भी मेरे साथ हैं वो तेरे किए हुए वादे, सब मुझे याद है साँस तो चल रही है बेशक आज भी मग़र अब इन रगों में नब्ज़ सी जमीं है सनम जो था दरमियाँ, वो अब नहीं है.. कुछ तल्ख़ हुए, ताल्लुक ख़तम हो गया, वक़्त भी हमपे इस कदर बेरहम हो गया.. रुख़सती का मंजर, और मुड़कर नहीं देखा आँख सूखी, अब तो सिर्फ़ दिल में नमी है मगर जो था दरमियाँ, वो अब नहीं है.. लोग अब मेरी शायरी की वजह पूछते हैं, मेरी इस सज़ा की वो इक खता पूछते हैं.., इक अजनबी ना जाने कब अपना हो गया, आदत सी हो गयी, के अब होठों पे हँसी है सनम जो था दरमियाँ, वो अब नही है.. तुम भी वही हो,और हम भी वही हैं! हम भी वही हैं.. Please read here.. तुम भी वही हो, तुम भी वही हो और हम भी वही हैं मग़र जो था दरमियाँ, वो अब नहीं है कुछ शिकायतें थीं, सिलसिला थम गया, ठहरा हुआ है आसमाँ, रुकी सी ज़मीं है! सनम जो था दरमियाँ, अब वो नहीं है.. धुंधलाई सी यादें, अब भी मेरे साथ हैं