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"मैं भूलना हूँ चाहती उस हादसे को आज ही, पर नज़रो म

"मैं भूलना हूँ चाहती उस हादसे को आज ही,
 पर नज़रो में जिंदा तुम्हारे पल सारे हैं आज भी|
 हाँ कोशिशें हज़ार की, हुई रोज़ शर्मसार भी,
 कई बार सोचा झूल जाऊँ इन रस्सियों के साथ ही|"


 हूँ एक प्रमाण मैं|

Read the full version below:

"एक दोस्त था मेरा जो बातें करता हज़ार था,
 एक माँ थी जिन्हें मुझपर बड़ा लाड़ था|
 कुछ चन्द रिश्तेदार थे और आम सी थी जिंदगी,
 ना ख़ास थी, ना खूब मैं बस आँखों में कुछ तिश्नगी|
"मैं भूलना हूँ चाहती उस हादसे को आज ही,
 पर नज़रो में जिंदा तुम्हारे पल सारे हैं आज भी|
 हाँ कोशिशें हज़ार की, हुई रोज़ शर्मसार भी,
 कई बार सोचा झूल जाऊँ इन रस्सियों के साथ ही|"


 हूँ एक प्रमाण मैं|

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"एक दोस्त था मेरा जो बातें करता हज़ार था,
 एक माँ थी जिन्हें मुझपर बड़ा लाड़ था|
 कुछ चन्द रिश्तेदार थे और आम सी थी जिंदगी,
 ना ख़ास थी, ना खूब मैं बस आँखों में कुछ तिश्नगी|
rakshitraj4393

Rakshit Raj

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