"मैं भूलना हूँ चाहती उस हादसे को आज ही, पर नज़रो में जिंदा तुम्हारे पल सारे हैं आज भी| हाँ कोशिशें हज़ार की, हुई रोज़ शर्मसार भी, कई बार सोचा झूल जाऊँ इन रस्सियों के साथ ही|" हूँ एक प्रमाण मैं| Read the full version below: "एक दोस्त था मेरा जो बातें करता हज़ार था, एक माँ थी जिन्हें मुझपर बड़ा लाड़ था| कुछ चन्द रिश्तेदार थे और आम सी थी जिंदगी, ना ख़ास थी, ना खूब मैं बस आँखों में कुछ तिश्नगी|