ख़्वाहिश चली थी एक पगली बदलने अपनी किस्मत, एक लफ़्ज़ भी बदल ना पायी, चली थी उड़ने लेकर कुछ ख्वाब ,अपने पंख भी पुरे खोल ना पायी ख्वाहिश किस्मत बदलने की