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आघात जब रूह पे लगती हैं न भाव का अकाल पड़ जाता हैं

आघात जब रूह पे लगती हैं न
भाव का अकाल पड़ जाता हैं
आँखे सूख जाती
किसी बरसाती नदी की तरह

आवाज़ दब सी जाती हैं
बोझ के तले
गम की चरमसीमा में
इंसान कर आता है 
सबसे किनारा
किसी भिक्षु की तरह

बुद्ध बनाएं नहीं जाते
मनुष्य का ईश्वरत्व जाग उठता है
चल पड़ता है ईश्वर तरफ़
असीम प्रेम और सुकून की तलाश में
लपकने मां को किसी नवजात बच्चें की तरह
🍁राकेश तिवारी🍁
बुद्ध पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं😊
 OPEN FOR COLLAB✨ #ATbuddhapoornima
• A Challenge by Aesthetic Thoughts! ✨ 

Collab with your soulful words.✨ 

• Must use hashtag: #aestheticthoughts 

• Please maintain the aesthetics.
आघात जब रूह पे लगती हैं न
भाव का अकाल पड़ जाता हैं
आँखे सूख जाती
किसी बरसाती नदी की तरह

आवाज़ दब सी जाती हैं
बोझ के तले
गम की चरमसीमा में
इंसान कर आता है 
सबसे किनारा
किसी भिक्षु की तरह

बुद्ध बनाएं नहीं जाते
मनुष्य का ईश्वरत्व जाग उठता है
चल पड़ता है ईश्वर तरफ़
असीम प्रेम और सुकून की तलाश में
लपकने मां को किसी नवजात बच्चें की तरह
🍁राकेश तिवारी🍁
बुद्ध पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं😊
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