Nojoto: Largest Storytelling Platform

वो पास आते आते रह गए कल कि तरह आज टूटता रहा आशिक़ क

वो पास आते आते रह गए कल कि तरह
आज टूटता रहा आशिक़ के दिल कि तरह

मै किसी झोपड़ी सा उसे तकता रहा 
वो मुझे देखती रही किसी महल कि तरह

ये सफ़र इसलिए अबतक जारी है,कभी
उसने पुकारा था मुझे किसी मंजिल कि तरह

मैं हूँ मुकम्मल शायर के अधूरे नज़्म सा,वो है
अधूरे शायर के मुकम्मल ग़ज़ल कि तरह

ज़िन्दगी सजा हुई,लिखने कि इब्तिदा हुई  
ये फ़न आया 'इज़्तिराब' के हासिल कि तरह  #yqbaba#yqdidi#dil#इज़्तिराब
वो पास आते आते रह गए कल कि तरह
आज टूटता रहा आशिक़ के दिल कि तरह

मै किसी झोपड़ी सा उसे तकता रहा 
वो मुझे देखती रही किसी महल कि तरह

ये सफ़र इसलिए अबतक जारी है,कभी
उसने पुकारा था मुझे किसी मंजिल कि तरह

मैं हूँ मुकम्मल शायर के अधूरे नज़्म सा,वो है
अधूरे शायर के मुकम्मल ग़ज़ल कि तरह

ज़िन्दगी सजा हुई,लिखने कि इब्तिदा हुई  
ये फ़न आया 'इज़्तिराब' के हासिल कि तरह  #yqbaba#yqdidi#dil#इज़्तिराब