पैकेज( 20 लाख करोड़) सत्ताधारियो से आम किसान, मजदूर की विनती🙏 कहाँ तो तय था पैकेज हर एक घर के लिए, कहाँ पैकेज मयस्सर नहीं शहर के लिए। यहा अमीरों के लिए ही सरकार चला करती है, चलो यहा से चले और उम्र भर के लिए। हैं कुछ धूर्त जो पैकेज भी निगल सकते हैं, पर हम तो मर रहे हर रोज़ निवाले के लिए। ना हो कमीज़ तो घूटनों से पेट ढक लेंंगे-2 बस पैकेज लगा देश के भविष्य के लिए। 🙏 हम रहे ना रहे देश का ये(economy) शान रहे, यही हसीन नजारा है इस नज़र के लिए। ये कुछ जुबान है प्रदुम बेबाक् शायर की-2 ये ऐतिहात जरूरी है इस (corona) सफर के लिए। कहाँ तो तय था पैकेज... ✍pkmast,,, paikez 20 लाख करोड़