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मन की आखों से देखों क्योंकि https://b.sharechat.co

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आयुर्वेद की जड़ों में तेल कैसे डाला गया 
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सरकार total health budget का 98% एलोपैथी पर खर्च कर रही है वो गरीब लोगों के टैक्स के पैसे हैं । सरकार ने आयुर्वेद को समाप्त करने के लिये सारे medicinal plants जैसे नीम , पीपल आदि को जानबूझ कर समाप्त कर दिया । सारी जैव विवधता को एक फ़सली खेती से समाप्त कर दिया । आयुर्वेद व्यवस्था में गुरु शिष्या परंपरा से जो वैद्य तैयार होते थे उन्हें झोला छाप कहकर बैन कर दिया ।  अब चांद पर जाने की दुहाई देने वालों ने पृथ्वी को रहने लायक नही छोड़ा । अब सरकार लोगों को जवाबदेह है । यह जो आप BAMS डॉक्टर देखते हो वह असल आयुर्वेद का क ख ग भी नहीं जानते । असली आयुर्वेदिक वैद्य नाड़ी देखकर बता देतें हैं । उनको जड़ी बूटियों का ज्ञान होता है । धातू मारनी आती हैं  और ये बैद्य सिर्फ गुरु शिष्य परंपरा से तैयार होते हैं किसी कॉलेज ,यूनिवर्सिटी में  नहीं। गुरु शिष्य परम्परा से तैयार इन वैद्य के पास कोई यूनिवर्सिटी की डिग्री नहीं होती थी सरकार ने डिग्री जरूरी करके इस भारतीय चिकित्सा पद्धति की जड़ों में तेल डाल दिया । रही सही कसर पूंजीवादी एक फ़सली खेती ने पूरी कर दी  । आयुर्वेद के लिये जरूरी जड़ी बूटियों के स्थान पर सब जगह गेंहू ,चावल ,गन्ने की खेती शुरू करवा दी । 

इसके अतिरिक्त आयुर्वेद की कई औषधियों पर प्रतिबंध लगा दिया गया । जैसे भांग ,अफीम आदि । शल्य चिकित्सा (सर्जरी,) जो कि आयुर्वेद की तकनीक थी उसे सरकार द्वारा कानून बना कर आयुर्वेद से छीन कर एलोपैथी की झोली में डाल दिया गया । अगर कोई आयुर्वेद का आचार्य शल्य चिकित्सा करता है उसको सज़ा का प्रावधान है । बाकि मेडिकल माफिया मीडिया और सरकार को MANAGE कर लेती है । 
अगर इतनी साज़िशों के वावजूद आयुर्वेद बचा हुआ है तो यह आयुर्वेद के उच्च स्तर को इंगित करता है ।
 #👍 मोदी फैन क्लब #🚩🚩अखण्ड हिन्दू राष्ट्र 🚩🚩 #🔥आज के चर्चित मुद्दे

©Ramesh Dixit #AdhureVakya
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आयुर्वेद की जड़ों में तेल कैसे डाला गया 
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सरकार total health budget का 98% एलोपैथी पर खर्च कर रही है वो गरीब लोगों के टैक्स के पैसे हैं । सरकार ने आयुर्वेद को समाप्त करने के लिये सारे medicinal plants जैसे नीम , पीपल आदि को जानबूझ कर समाप्त कर दिया । सारी जैव विवधता को एक फ़सली खेती से समाप्त कर दिया । आयुर्वेद व्यवस्था में गुरु शिष्या परंपरा से जो वैद्य तैयार होते थे उन्हें झोला छाप कहकर बैन कर दिया ।  अब चांद पर जाने की दुहाई देने वालों ने पृथ्वी को रहने लायक नही छोड़ा । अब सरकार लोगों को जवाबदेह है । यह जो आप BAMS डॉक्टर देखते हो वह असल आयुर्वेद का क ख ग भी नहीं जानते । असली आयुर्वेदिक वैद्य नाड़ी देखकर बता देतें हैं । उनको जड़ी बूटियों का ज्ञान होता है । धातू मारनी आती हैं  और ये बैद्य सिर्फ गुरु शिष्य परंपरा से तैयार होते हैं किसी कॉलेज ,यूनिवर्सिटी में  नहीं। गुरु शिष्य परम्परा से तैयार इन वैद्य के पास कोई यूनिवर्सिटी की डिग्री नहीं होती थी सरकार ने डिग्री जरूरी करके इस भारतीय चिकित्सा पद्धति की जड़ों में तेल डाल दिया । रही सही कसर पूंजीवादी एक फ़सली खेती ने पूरी कर दी  । आयुर्वेद के लिये जरूरी जड़ी बूटियों के स्थान पर सब जगह गेंहू ,चावल ,गन्ने की खेती शुरू करवा दी । 

इसके अतिरिक्त आयुर्वेद की कई औषधियों पर प्रतिबंध लगा दिया गया । जैसे भांग ,अफीम आदि । शल्य चिकित्सा (सर्जरी,) जो कि आयुर्वेद की तकनीक थी उसे सरकार द्वारा कानून बना कर आयुर्वेद से छीन कर एलोपैथी की झोली में डाल दिया गया । अगर कोई आयुर्वेद का आचार्य शल्य चिकित्सा करता है उसको सज़ा का प्रावधान है । बाकि मेडिकल माफिया मीडिया और सरकार को MANAGE कर लेती है । 
अगर इतनी साज़िशों के वावजूद आयुर्वेद बचा हुआ है तो यह आयुर्वेद के उच्च स्तर को इंगित करता है ।
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Ramesh Dixit

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