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बैठना जब तुम कभी फुर्सत में उठा लेना क़लम, और फिर

बैठना जब तुम कभी फुर्सत में
 उठा लेना क़लम, और फिर एक पैग़ाम लिखना,

अपने होठों की मुस्कान से चुरा
 शब्दों में एक सलाम लिखना, 

हाल बताना अपनी खैरियत का, 
और निग़ाहों की बरसी स्याही से
 हमारी याद लिखना, 

पहचान ना लिखना मेरी उसमे तुम
ना कहीं उसमे मेरा नाम लिखना,

दोस्ती लिखना एक रिश्ते का नाम 
और हर जगह सिर्फ़ अपना हाल लिखना, 

मत पूछना कहीं हाल मेरा, मै बता नहीं पाऊंगा
गुज़र रही होगी मेरी जिन्दगी, 

जो तुम्हारे बिन
 मै उसकी दास्तां ना कह पाऊंगा...!! #आक्रोश
30 Aug 2020
बैठना जब तुम कभी फुर्सत में
 उठा लेना क़लम, और फिर एक पैग़ाम लिखना,

अपने होठों की मुस्कान से चुरा
 शब्दों में एक सलाम लिखना, 

हाल बताना अपनी खैरियत का, 
और निग़ाहों की बरसी स्याही से
 हमारी याद लिखना, 

पहचान ना लिखना मेरी उसमे तुम
ना कहीं उसमे मेरा नाम लिखना,

दोस्ती लिखना एक रिश्ते का नाम 
और हर जगह सिर्फ़ अपना हाल लिखना, 

मत पूछना कहीं हाल मेरा, मै बता नहीं पाऊंगा
गुज़र रही होगी मेरी जिन्दगी, 

जो तुम्हारे बिन
 मै उसकी दास्तां ना कह पाऊंगा...!! #आक्रोश
30 Aug 2020