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ओ मोहन मुरारी, सुनो तुम हमारी        एक विनती प्या

ओ मोहन मुरारी, सुनो तुम हमारी
       एक विनती प्यार भरी, 
एक विनती पुकार भरी..
       कहां तुझको ढूंढूं, कहां तुझको पाऊं
कहीं ना मिले तू, यहीं मैं बताऊं..
       जानें कहां तुम रहते हों, 
किस मन की तुम कहते हों..
       हो तुम जहां, ओ सांवरिया
वहीं पर हमारा बृज धाम हैं..
       हो तुम जहां, रंग रसिया
वहीं पर प्रेम का नाम हैं..
       वहीं पर तन, मन को आराम हैं.......

©Divyanshi Triguna "Radhika"
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