उलझे हुए कुछ सपने हैं,उलझी हुई कुछ ख्वाहिश हैं दिल में गहरी तड़पन है,कहीं दूर उनकी रिहाइश है दूर तलक सुलगती हुई रेत है,पानी की गहरी प्यास है दूर बहता कहीं एक दरिया है,नए मौसम की पहली बारिश है उनके बिना मैं अधूरा हूं,अधूरी जिंदगी की हर फरमाइश है इल्ज़ाम मुझ पर हजारो हैं,फिर भी उनसे मिलन की ख्वाहिश है... रचना विषय - ' मिलन ' #हिन्दी_काव्य_कोश ♻️ 6 पंक्तियों में अपनी रचना कर प्रतियोगिता करें। #yqbaba #tmkosh 🎯 collab करने के बाद विषय के comment में Done लिखें। 🎯 Done न लिखा जाने पर उस रचना को प्रतियोगिता से बाहर समझा जायेगा। 🎯रचना चुनी जाने के बाद दुसरे दिन के विषय पर रचना लिखी जानी चाहिए ताकि सभी रचनाकार आपकी रचनाओं को पढ़ सकें। 🎯 कृपया रात्रि 12:00 am तक अपनी रचनाएँ भेज दें। 🎯 इन सभी रचनाओं में से एक रचना को हिन्दी काव्य कोश टीम द्वारा विजयी 🏅घोषित किया जायेगा परन्तु इसका यह अर्थ कदापि नहीं है कि और सभी रचनाएँ अच्छी नहीं हैं।