प्रेम की धार बही ऐसी की सब प्रेम सुधा मे जाय बहे जब कोयल कूक लगी ऐसी तब सरगम अपने आप बजे फिर,जा मोहन की दही रास मे गोपिन के गडुला फुट गए ऐसो मनमोहक दृश्य कहाँ जब छलिया गोपिन हाथ पिटे मै लऊ बलाऐं नटवर की ऐसो लाला हर घर होवे जा रसिया कु हमते प्रेम बड़ो जासे ये छैला गैल हमरी रोकें ©Satwik mishra #गोपीयाँ #गडुला #love❤ #Krishna