चलो आज उसके घर के रास्ते पे चलकर देखता हूँ आज उसकी खुशी के लिए उस पर मर के देखता हूँ उसे बहुत पसन्द था ना रात में सफ़र करना चलो आज पूरी रात बाहर निकलके देखता हूँ बहुत खुश् होती थी कभी मेरे बात करने से वो चलो आज उसकी आवाज सुनने की कोशिश करके देखता हूँ कभी हाथ पकड़कर कहती थी जो की जी ना पाउंगी तेरे सिवा चलो आज उसकी ज़िन्दगी में झाँक कर देखता हूँ और मेरे सीने पर सर रखकर झूठी कसमें खाई थी जो उसने चलो आज अपने मरे हुए दिल में थोडा जी कर देखता हूँ कभी मेरे लिए उपवास तक न रखा जिसने आज सालो बाद उसकी याद में जाम पी कर देखता हूँ जब से रूठा है तू मुझसे,में रूठ गया हु खुद खुदसे अब यार मै भी इक शाम जी कर देखता हूँ और ज़िन्दगी निकाल दी दूसरो को खुश करने में इक वार खुद के लिए खुद को खुश करके देखता हूँ||| gouravagrawal ##hiddenpain