मेरे लबों की इस खामोशी को भी पढ़ तू हाल-ए-दिल भी जरा तो मेरा समझ तू ख़ामोशी का "लिबास जुबान ओढ़े है मेरी मेरे "ज़ज्बात" को भी तो जरा समझ तू मिल ही जाएगे हज़ारों "चाहने" वाले तुझे पर अनमोल हैं मेरी "चाहत" को समझ तू मुस्कराते है तुम्हें देखकर हरपल "कृष्णा" मुस्कराने के इस "राज" को भी समझ तू ♥️ Challenge-525 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।