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मन की आखों से देखों क्योंकि तब ही सब कु

मन की आखों से देखों क्योंकि 










तब ही सब कुछ समझ मे आता है।
कई बार इन आखों को
फ़क़त छलाया जाता है।
भौतिकता की दुनिया मे
इन नेत्रों को लुभाया जाता है।
हर बार नही होता वो सच 
जो दिखाया जाता है।
इस दुनिया मे लोगों को
अक्सर यूं ही बरगलाया जाता है
जब भी उत्तपन हो संदेह 
तब तब मन की आखों में
शांत चित भाव से
उचित अनुचित का 
अनुमान लगाया जाता है।

©Bhupendra Rawat #अधूरे_अल्फ़ाज #no_feeling_no_pain 
#AdhureVakya
मन की आखों से देखों क्योंकि 










तब ही सब कुछ समझ मे आता है।
कई बार इन आखों को
फ़क़त छलाया जाता है।
भौतिकता की दुनिया मे
इन नेत्रों को लुभाया जाता है।
हर बार नही होता वो सच 
जो दिखाया जाता है।
इस दुनिया मे लोगों को
अक्सर यूं ही बरगलाया जाता है
जब भी उत्तपन हो संदेह 
तब तब मन की आखों में
शांत चित भाव से
उचित अनुचित का 
अनुमान लगाया जाता है।

©Bhupendra Rawat #अधूरे_अल्फ़ाज #no_feeling_no_pain 
#AdhureVakya